जलवायु परिवर्तन से घटेगी आय
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मनोज कुमार की फिल्म उपकार के गीत मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती से लेकर तुलसीदास के रामचरित मानस के का बरखा जब कृषि सुखाने और एलन सवोरे की उक्ति कृषि सिर्फ फसल का उत्पादन नहीं है, जैसा कि सामान्यतया माना जाता है, यह विश्व की धरती और जल से खाद्य और फाइबर का उत्पादन है, का उल्लेख करते हुुए 2017-18 की समीक्षा में कहा गया है कि भारत का इतिहास एवं साहित्य किसानों को पौराणिक इतिहास तक पहुंचाता है।
समीक्षा में विस्तार से विश्लेषण करते हुए कहा गया है कि शुष्क दिनों ( जब बारिश 0.1 मिलीमीटर से कम होती है) और बारिश वाले दिनों (जब बारिश 80 मिलीमीटर रोजाना से ज्यादा होती है) के बीच अनुपात समय के साथ तेजी से बढ़ रहा है।
समीक्षा मेंं कहा गया है, 'उदाहरण के लिए बहुत ज्यादा तापमान होने पर गैर सिंचित इलाकों में खरीफ में उत्पादकता 7 प्रतिशत और रबी में 7.6 प्रतिशत कम होती है।' बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (इक्रियर) में कृषि के इन्फोसिस चेयर प्रोफेसर अशोक गुलाटी ने कहा, 'मध्यावधि हिसाब से देखें तो आर्थिक समीक्षा में जलवायु परिवर्तन और मौसम के उतार चढ़ाव की चुनौतियों पर चर्चा की गई है। इस हिसाब से बातें सही हैं, लेकिन भारतीय कृषि की मौजूदा समस्याओं पर कोई चर्चा नहीं की गई है। मौजूदा समस्या विपणन और गिरती कीमतों से जुड़ी हुई है।'
कीवर्ड economic survey, Arvind Subramanian, budget,शिक्षा, स्वास्थ्य और साफ सफाईसमीक्षा में कहा गया है कि केंद्र व राज्य सरकारों ने शिक्षा, स्वास्थ्य और साफ सफाई पर पिछले कुछ साल से जीडीपी के प्रतिशत के रूप में खर्च नहीं बढ़ाया है। ऐसा वित्तीय बाधाओं की वजह से हुआ है। समीक्षा में कहा गया है, 'सामाजिक सेवाओं पर केंद्र व राज्यों द्वारा किया जाने वाला व्यय जीडीपी के अनुपात में नहीं बदला है और यह 2012-13 से 2014-15 तक 6 प्रतिशत के करीब बना हुआ है। 2015-16 में इसमें मामूली गिरावट आई और यह जीडीपी का 5.8 प्रतिशत रह गया, जो 2017-18 के बजट अनुमान में बढ़कर 6.6 प्रतिशत हो गया।' समीक्षा में कहा गया है कि विभिन्न सरकारी योजनाओंं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम से कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है और शिक्षा में लैंगिक भेदभाव कम हुआ है।