रुइया बंधुओं के लिए आई परीक्षा की घड़ी
एस्सार गु्रप के रुइया बंधुओं को ऐसे समय में लूप टेलीकॉम के नाम पर सेल्युलर फोन लाइसेंस हासिल करते वक्त सरकारी नियमों के उल्लंघन का सामना करना पड़ा जब वोडाफोन इंडिया लिमिटेड में उनकी पहले से ही 33 फीसदी की हिस्सेदारी थी। मई 2012 में सीबीआई अदालत ने एस्सार के उपाध्यक्ष रवि रुइया, निदेशक अंशुमान रुइया और विकास सराफ को धोखेबाजी और षडयंत्र के लिए आरोपी बनाया था। लूप टेलीकॉम के संस्थापकों और रुइया के नजदीकी संबंधियों किरण खेतान और उनके पति आई पी खेतान को भी अदालत द्वारा आरोपी बनाया गया। सीबीआई का आरोप था कि रुइया ने अतिरिक्त स्पेक्ट्रम और लाइसेंस हासिल करने के लिए फ्रंट कंपनी के तौर पर लूप का इस्तेमाल किया जो दूरसंचार नीति का उल्लंघन है। नियम के अनुसार किसी कंपनी को उस स्थिति में वायरलेस टेलीफोनी कंपनी में अपनी स्वयं की हिस्सेदारी की अनुमति नहीं थी जब उसकी किसी अन्य दूरसंचार कंपनी में 10 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी पहले से ही हो। सीबीआई ने कहा कि लूप टेलीकॉम का स्वामित्व एवं परिचालन रुइया के हाथों में उस समय था जब उनकी वोडाफोन इंडिया लिमिटेड में 33 फीसदी हिस्सेदारी पहले से ही थी।